Tuesday, August 11, 2020

Ram Mandir

राम राम राम राम राम राम राम ही हैं बीज,
आज राम जन्म भूमि पे पड़ेगी मंदिर कि नींव,
चतुर्दशी श्रावण बाद्रपद शाके उन्नीस सौ बयालीस,
याद रखेंगे शुभ दिन, जिस दिन मिला हमें आशीष,
अरस-बरस, बरस-अरस, कर कर कर-सेवक चले अनेक,
बस हृदय में राम कि आशा लिए एक दिन होगा अभिषेक,
रक्त अश्रु, साम दाम, पुत्र भ्रातृ, दशकों रहा न्याय विराम,
करते रहे सब बलिदान, तब जा के कहीं मिले हमें हैं राम,
आज ही हैं विजय धर्म की, मर्म की, आव्यक्त की, भक्त की,
आज ये दृश्य थाम लो, ये भावना भक्तो के अभिव्यक्ति की,
नास हुआ बरसो बरस से बाबर बर बर तेरी बरबर्ता की,
आज ध्वस्त हैं बाबरी और उठ रही हैं राम कि अयोध्या जी,
नाच रहा मन मन, जन जन,पशुधन, गन्धर्व, देव,
आज तो नाच रहे वेदनाथ, श्याम, श्यामा व महादेव,
आज हैं शिलान्यास, रामजी की सेना की गूंजी हैं शंखनाद,
आ रहा है राम राज्य, अन्तरिक्ष के कन कन में हुआ उन्माद,
पीताम्बरी साकेत हैं, बरसो जल नीलांबरी करो काज,
श्वेत सर्यू जी के प्रवाह से, धूल जायेंगे सारे पाप आज,
उठ गए हैं शेषनाग, उड़ गए हैं गरुड़ देव लिए राम,
ध्वजा लगा रहे भरत लखन शत्रुघ्न और हनुमान,
चंदन, अक्षत, तिलक, माल लिए सुंदर माॅं जानकी,
सज रहे लव कुष भी आज, प्रतीक्षा है बस राम की,
राम बस अब तुम आओ राम, सब राम भाजो सब सीताराम,
बोलो जय सियाराम, जय सियाराम, जय जय जय श्री राम।

- © अभिषेक सिंह 🙏 🚩 



Tuesday, August 16, 2011

Ki hain aazadi abhi baaki

कि हैं आज़ादी अभी बाकि 


कि इन्ही हंवायों मे थी ली तूने, वो साँसे जो आज मैं लेता हूँ,
जो साँसे छोढ़ दी तूने, उनही साँसो को मैं आज लेता हूँ।

       लहू दौड़ता जो मेरी रागो मे हैं, वो तेरे बलिदानो ने सीचा हैं,
       जो मैं डूब के उभर जाता हूँ, मुझको तेरी आशयों ने खीचा हैं।

ए मुल्क पे शहीद होने वालो, जरा सुन लो जो मैं कहता हूं,
जो शोहरत छोढ़ दी तुमने, मैं उसका मान रखता हूं।

       जो कभी मुझे मान मिलता हैं, तो बस तुमहिको याद करता हूँ,
       जो हर बरस आज़ादी का दिन आए, तो बस तुम्हारा नाम लेता हूँ।

मगर वो खो रही हैं आज कहीं, जिस बात पे तुमने दी थी कुर्बानी,
हैं सियासत सो रही हैं कहीं, की किसे मालूम किस बात पे दी कुर्बानी.

       ओ सियासत वालो, ओ धन वालो, ओ दिल वालो, ओ मेरे प्यारे वतन वालो,
       की इस कर्ज़ मे सिर्फ मैं नहीं, जो हैं तो पूरा देश डूबा हैं।

की इस कर्ज़ को सिर्फ मुझको ही नहीं तुमको भी इसे चुकाना हैं,
वक़्त ने दी फिर आवाज़ हैं, फिर हुमे अब इसका मान रखना हैं।

       कि देख लो आज़ादी के अगले ही दिन, एक होने वाला शहीद भूखा हैं,
       कि कब तक चुप रहोगे तुम, कि वक़्त अब कुछ कर गुजर्ना हैं।

अब तक जो पीस रहे इस देश को, कि अब उनको हराना हैं,
भले हुमवतन हो लेकिन उन हाथों को, अब हिमे नासूर करना हैं।

       अब ठान लो जो ये मौक़ा हैं, जो अब आया वो फिर न अब आएगा,
       इस शतरंज का जो प्यादा हैं, वो राजा तक फिर न पहुँच पाएगा।

की देखते है वो फिर भी ऊपर से, कि क्या करते हैन हम साथी,
मैं कलाम लिख देता हूँ, जो अब कितनी भी बरसे अब लाठी।

       कि हैं बाज़ी अभी बाकी, कि कमर कसना हैं अभी बाकी,
       कि बहित हो चुका हैं अब, कि लाज अब रखनी हैं भारत माँ कि....


 - Abhishek Singh

Sunday, August 22, 2010

Ye Silsila Mera

ये सिलसिला मेरा 

युं गलियरों से पाँव पटक कर गुज़रना तेरा,
वो सुन कर हर बार तेरी ओर मुड जाना मेरा ।

यूँ रहना इंतज़ार रोज़ आने का तेरा,
वो मेरा रुक जाना जब वक़्त हो जाने का तेरा।

यूँ अपने दोस्तों के साथ नज़र-अनदाज़ निकल जाना तेरा,
वो तुझे देखते ही दोस्तों को हाल-ए-दिल सुनना मेरा।

यूँ हर रोज़ तुझे देखना उसी वक़्त वही जाना तेरा,
वो मेरा हर रोज़ वही उसी वक़्त पहुँच जाना मेरा।

यूँ उस पल अचानक चलते चलते थम जाना तेरा,
वो तेरे मुलाक़ात-इ-उम्मीद में जल जाना मेरा।

तुन कुछ बार कोई सवाल लेकर मेरे पास आना तेरा,
वो मेरा जवाब खुद ही सवाल बन जाना मेरा।

यूँ एक दिन किसी बात पे मुझे देख देख मुस्कुराना तेरा,
वो देख देख मेरे बेखयाली में किसी और से टकराना मेरा।

यूँही अब सोचता हूँ करना हैं अब मुझे कुछ फैसला तेरा,
पर ये सोच कर रुक जाता हूँ की रुक न जाए ये सिलसिला मेरा।

- अभिषेक सिंघ 
 


- Abhishek Singh