Tuesday, August 16, 2011

Ki hain aazadi abhi baaki

कि हैं आज़ादी अभी बाकि 


कि इन्ही हंवायों मे थी ली तूने, वो साँसे जो आज मैं लेता हूँ,
जो साँसे छोढ़ दी तूने, उनही साँसो को मैं आज लेता हूँ।

       लहू दौड़ता जो मेरी रागो मे हैं, वो तेरे बलिदानो ने सीचा हैं,
       जो मैं डूब के उभर जाता हूँ, मुझको तेरी आशयों ने खीचा हैं।

ए मुल्क पे शहीद होने वालो, जरा सुन लो जो मैं कहता हूं,
जो शोहरत छोढ़ दी तुमने, मैं उसका मान रखता हूं।

       जो कभी मुझे मान मिलता हैं, तो बस तुमहिको याद करता हूँ,
       जो हर बरस आज़ादी का दिन आए, तो बस तुम्हारा नाम लेता हूँ।

मगर वो खो रही हैं आज कहीं, जिस बात पे तुमने दी थी कुर्बानी,
हैं सियासत सो रही हैं कहीं, की किसे मालूम किस बात पे दी कुर्बानी.

       ओ सियासत वालो, ओ धन वालो, ओ दिल वालो, ओ मेरे प्यारे वतन वालो,
       की इस कर्ज़ मे सिर्फ मैं नहीं, जो हैं तो पूरा देश डूबा हैं।

की इस कर्ज़ को सिर्फ मुझको ही नहीं तुमको भी इसे चुकाना हैं,
वक़्त ने दी फिर आवाज़ हैं, फिर हुमे अब इसका मान रखना हैं।

       कि देख लो आज़ादी के अगले ही दिन, एक होने वाला शहीद भूखा हैं,
       कि कब तक चुप रहोगे तुम, कि वक़्त अब कुछ कर गुजर्ना हैं।

अब तक जो पीस रहे इस देश को, कि अब उनको हराना हैं,
भले हुमवतन हो लेकिन उन हाथों को, अब हिमे नासूर करना हैं।

       अब ठान लो जो ये मौक़ा हैं, जो अब आया वो फिर न अब आएगा,
       इस शतरंज का जो प्यादा हैं, वो राजा तक फिर न पहुँच पाएगा।

की देखते है वो फिर भी ऊपर से, कि क्या करते हैन हम साथी,
मैं कलाम लिख देता हूँ, जो अब कितनी भी बरसे अब लाठी।

       कि हैं बाज़ी अभी बाकी, कि कमर कसना हैं अभी बाकी,
       कि बहित हो चुका हैं अब, कि लाज अब रखनी हैं भारत माँ कि....


 - Abhishek Singh